E-Paperटेक्नोलॉजीदेश
Trending

सैटेलाइट इंटरनेट कैसे अलग है ब्रॉडबैंड और मोबाइल से,Elon Musk की Starlink भारत में आने को तैयार, कितना पड़ेगा सैटेलाइट इंटरनेट का मंथली खर्च?

सैटेलाइट इंटरनेट के बारे में सुना है? लेकिन ये क्या है और इसकी सेवाओं की शुरुआत होने पर आपको कैसे फायदा हो सकता है, इससे अनजान हैं? अगर हां, तो आइए विस्तार से जानते हैं कि ब्रॉडबैंड और मोबाइल इंटरनेट से सैटेलाइट इंटरनेट कैसे अलग है? Starlink के अलावा भारती समर्थित Eutelsat OneWeb, रिलायंस जियो और SES की पार्टनरशिप तथा Globalstar भी भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस देने की तैयारी में हैं। चलिए पहले जानते हैं कि आपको इसके लिए हर महीने कितने रुपये देने पड़ सकते हैं।जानिए आम आदमी के लिए सस्ता रहेगा या नहीं?

नई दिल्ली:- आज के समय में हर किसी के लिए इंटरनेट जरूरी और जरूरत हो चुका है। इसकी सुविधा उठाने के लिए हर दूसरा व्यक्ति विभिन्न रिचार्ज प्लान को अपनाता नजर आता है। इंटरनेट सर्विस को प्रदान करने के लिए अलग-अलग टेलीकॉम कंपनी भी विभिन्न ब्रॉडबैंड और मोबाइल इंटरनेट प्लान पेश करती हैं। वहीं, अब एक नए तरीके से इंटरनेट सर्विस का लाभ मिल सकता है। दरअसल, दुनिया भर में इंटरनेट का एक नया चेहरा, एक नया रूप, सैटेलाइट इंटरनेट के नाम से आ रहा है।

जी हां, सैटेलाइट इंटरनेट जिसके बारे में आपने शायद सुना भी होगा, लेकिन ये क्या है और कैसे ब्रॉडबैंड और मोबाइल इंटरनेट से अलग है? आम लोगों के लिए किफायती रहेगा या नहीं? आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं, आइए जानते हैं।

सैटेलाइट इंटरनेट क्या है?
सबसे पहले सैटेलाइट इंटरनेट क्या है? इसके बारे में बात करते हैं जैसा कि इसका नाम है, वैसा ही इसका काम भी है। दरअसल, एक वायरलेस नेटवर्क सर्विस है जो इंटरनेट का सिग्नल सीधा स्पेस में स्थित सैटेलाइट से यूजर्स तक पहुंचाएगा। सैटेलाइट इंटरनेट से डिवाइस तक इंटरनेट के लिए सीधा स्पेस की सैटेलाइट से नेटवर्क मिलता है। आमतौर पर सैटेलाइट इंटरनेट को सैटेलाइट डिश और राउटर के जरिए इस्तेमाल किया जाता है।


ब्रॉडबैंड और फोन इंटरनेट से कैसे अलग है सैटेलाइट इंटरनेट?
जैसा कि हमने आपको सैटेलाइट इंटरनेट क्या है, इसके बारे में बता ही दिया है तो इससे आपके लिए भी ये तो साफ हो चुका होगा कि ब्रॉडबैंड और मोबाइल इंटरनेट से ये कैसे अलग है। हालांकि, फिर भी बता दें कि वायरलेस इंटरनेट नेटवर्क यानी सैटेलाइट इंटरनेट के लिए ट्रांसमिशन टावर्स या फाइबर केबल की कोई जरूरत नहीं होती है। जबकि, ब्रॉडबैंड और फोन इंटरनेट के लिए ट्रांसमिशन टावर्स या फाइबर केबल की मदद लगती है।

ब्रॉडबैंड इंटरनेट और सैटेलाइट इंटरनेट में अंतर
ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस के लिए केबल की मदद लगती है जो डिवाइस तक डेटा ट्रांसफर करता है। वाईफाई के माध्यम से डिवाइस तक इंटरनेट की सुविधा मिलती है। शहरी इलाकों के लिए ये एक अच्छा ऑप्शन होता है जो हाई स्पीड डेटा प्रदान करता है। जबकि, सैटेलाइट इंटरनेट, वायरलेस नेटवर्क के साथ है और यूजर्स इसका इस्तेमाल कहीं भी कर सकते हैं। इसका फायदा ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को हो सकता है जहां नेटवर्क टावर्स नहीं लगे हुए हैं या समस्या रहती है।

मोबाइल इंटरनेट और सैटेलाइट इंटरनेट में अंतर
बात करें मोबाइल इंटरनेट की तो इसे अलग-अलग नेटवर्क ऑप्शन के साथ प्रदान किया जाता है। हर क्षेत्र में विभिन्न नेटवर्क कनेक्शन के साथ इंटरनेट सर्विस मिलती है। 2G, 3G, 4G और अब तक कई क्षेत्रों में 5G सर्विस भी उपलब्ध है। मोबाइल इंटरनेट की सुविधा फोन के टावरों से वायरलेस इंटरनेट सर्विस के साथ प्रदान की जाती है। फोन में नेटवर्क होने पर मोबाइल इंटरनेट चलता है। कम नेटवर्क वाले क्षेत्रों में इंटरनेट भी काम नहीं करता है। जबकि, सैटेलाइट इंटरनेट के लिए किसी टावर की जरूरत नहीं है और सीधा सैटेलाइट से नेटवर्क प्राप्त होता है। ऐसे में उस फोन पर भी सैटेलाइट इंटरनेट चल सकता है जहां मोबाइल नेटवर्क बिल्कुल भी न हो।


क्या भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू हो गई है?

जी नहीं, अभी तक भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू नहीं हुई है लेकिन जल्द ही इस सेवा की शुरुआत हो सकती है। हालांकि, भारत से पहले बांग्लादेश में सैटेलाइट इंटरनेट की सेवाएं शुरू कर दी जा चुकी हैं। पड़ोसी देश बांग्लादेश में स्टारलिंक द्वारा सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत कर दी गई है। बांग्लादेश में स्टारलिंक के सैटेलाइट प्लान की कीमत 4,200 रुपये प्रति माह है। जबकि, किट के लिए 33,000 रुपये एकमुश्त रकम चुकानी होती है।

एलन मस्क की स्टारलिंक जल्द ही भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने जा रही है। इसके साथ ही देश में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के क्षेत्र में कॉम्पिटिशन भी बढ़ने वाला है। Starlink के अलावा भारती समर्थित Eutelsat OneWeb, रिलायंस जियो और SES की पार्टनरशिप तथा Globalstar भी भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस देने की तैयारी में हैं। चलिए पहले जानते हैं कि आपको इसके लिए हर महीने कितने रुपये देने पड़ सकते हैं।

भारत में कब शुरू होगी स्टारलिंक सेवा?
भारत सरकार ने स्टारलिंक को आशय पत्र (LoI) जारी कर दिया है, लेकिन सेवा शुरू करने के लिए अभी कुछ जरूरी मंजूरियां बाकी हैं। सबसे पहले स्टारलिंक को IN-SPACe (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र) से औपचारिक मंजूरी लेनी होगी। इसके साथ ही स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया भी पूरी होनी बाकी है। सूचना है कि ट्राई (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) इस पर अंतिम अनुशंसा तैयार कर रहा है। उम्मीद की जा रही है कि 2025 के अंत तक या 2026 की शुरुआत में भारत में स्टारलिंक की सेवा औपचारिक रूप से शुरू हो सकती है।

रिलायंस जियो और एयरटेल के साथ साझेदारी
स्टारलिंक ने भारत के दो बड़े दूरसंचार खिलाड़ियों रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के साथ रणनीतिक साझेदारी की है। इन कंपनियों का भारत के टेलीकॉम बाजार में 70 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा है।

जियो ने यह साफ किया है कि वह अपने खुदरा नेटवर्क के माध्यम से स्टारलिंक उपकरण बेचेगा।

साथ ही एक मजबूत ग्राहक सेवा और एक्टिवेशन तंत्र भी तैयार किया जाएगा ताकि उपभोक्ताओं को सेवा की शुरुआत में किसी प्रकार की परेशानी न हो।

स्टारलिंक क्यों है पारंपरिक इंटरनेट से अलग और बेहतर?
जहां भारत में आज भी कई इलाकों में 300 रुपये प्रति महीने में ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध है, वहीं स्टारलिंक की कीमत कहीं ज्यादा है। लेकिन इसकी तकनीक और पहुँच की बात करें, तो स्टारलिंक पारंपरिक ब्रॉडबैंड से कई मायनों में बेहतर है।


कम विलंबता (Low Latency): वीडियो कॉल, गेमिंग और लाइव ट्रांसमिशन में तेजी।

कहीं से भी कनेक्टिविटी: शहरों से लेकर सुदूर गांवों और पहाड़ी इलाकों तक।

बेहतर विश्वसनीयता: तार टूटने, मौसम या जमीनी नेटवर्क में खराबी का असर नहीं।

स्टारलिंक, ह्यूजनेट, वायासैट और अमेज़न जैसी अन्य सैटेलाइट कंपनियों से भी बेहतर प्रदर्शन करता है क्योंकि यह छोटे-छोटे हजारों उपग्रहों के नेटवर्क से इंटरनेट देता है, जो लेज़र के माध्यम से आपस में जुड़े होते हैं। इससे ग्राउंड स्टेशन पर निर्भरता कम हो जाती है।

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सस्ता रहेगा या नहीं?
फिलहाल, भारत में सैटेलाइट इंटरनेट शुरू नहीं हुआ है लेकिन अगर बांग्लादेश में स्टारलिंक के सैटेलाइट इंटरनेट रिचार्ज प्लान के बारे में जानते हैं और उस हिसाब अंदाजा लगाए तो ये सर्विस उन लोगों के लिए भारत में बेहतर साबित हो सकती है जिनके इलाके में ब्रॉडबैंड और मोबाइल इंटरनेट सर्विस नहीं है। स्टारलिंक द्वारा अफ्रीकी देशों में सैटेलाइट इंटरनेट प्लान सस्ते पेश किए हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि भारत में भी ये प्लान सस्ते हो, लेकिन आइए फिर भी समझते हैं कि भारत में आम लोगों के लिए सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस किफायती हो सकता है या नहीं?

एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि स्टारलिंक भारत में अपने अनलिमिटेड डेटा प्लान को 10 डॉलर यानी करीब 840 रुपये पर मंथ के प्लान पर पेश कर सकता है। कंपनी ऐसे इलाकों तक हाई-स्पीड इंटरनेट देने की तैयारी में हैं जहां अभी भी खराब नेटवर्क से यूजर्स परेशान हैं। इसी का फायदे उठाते हुए कंपनी भारत जैसे बड़े टेलीकॉम मार्केट में पैर जमा सकती है।

हालांकि अभी तक कंपनी ने प्लान की कीमतों को लेकर कोई खुलासा नहीं किया है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि कंपनियां अपने यूजर बेस को तेजी से बढ़ाने के लिए सस्ते प्लान्स पेश कर सकती है। लॉन्ग टर्म में Starlink का टारगेट 1 करोड़ ग्राहकों तक पहुंचना है।


इन लोगों के लिए सैटेलाइट इंटरनेट फायदेमंद
भारत में उन लोगों के लिए सैटेलाइट इंटरनेट की सुविधा फायदेमंद हो सकती है जो ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। ऐसे क्षेत्र जहां दूर-दूर तक न तो नेटवर्क हैं और ना ही इंटरनेट सर्विस की कनेक्टिविटी। सैटेलाइट इंटरनेट के इस्तेमाल से इंटरनेट नेटवर्क तक पहुंचना तो आसान हो लेकिन हर महीने हजारों रुपये का खर्चा भी हो सकता है। सैटेलाइट इंटरनेट का प्लान काफी महंगा है जिस वजह से इसे यूज करने के लिए अधिक खर्च करना पड़ सकता है।स्टारलिंक सेवा का सबसे ज्यादा फायदा उन क्षेत्रों को मिलेगा जहां आज भी इंटरनेट नहीं पहुंच पाया है:

ग्रामीण इलाकों के स्कूल और अस्पताल

सेना और सीमा पर तैनात बल

आपदा प्रबंधन टीमें

दूरदराज के गांव जहां फाइबर या 4G नेटवर्क नहीं पहुंचा है

छोटे व्यवसाय, स्टार्टअप और दूरदराज के ऑफिस

आने वाले समय में जैसे-जैसे तकनीक आम होगी और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, इसके दाम घट सकते हैं। फिलहाल यह सेवा व्यवसायों, सरकारी एजेंसियों और उन इलाकों के लिए है जहां अन्य विकल्प मौजूद नहीं हैं।

vishal leel

Editor, Anchor, digital content creator, sr. Media person,

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!