जैविक विधि से बीजों को बीजोपचार करने से उक्ठा जैसे अन्य रोगों से बचाया जा सकता है
सीताराम यादव की रिपोर्ट
*जैविक विधि से बीजों को बीजोपचार करने से उक्ठा जैसे अन्य रोगों से बचाया जा सकता है*
*अनेक प्रकार के खाद बनाते है।जैविक विधि से जैविक कृषि विशेषज्ञ बिहारी लाल साहू*
खेती किसानी
डिण्डौरी/शहपुरा । धान की फसल अधिक लेनी हो तो धान की नर्सरी तैयार करके धान बोनी चाहिए।धान की नर्सरी कैसे तैयार किया जाए इसकी जानकारी नर्मदांचल गौ सेवा समिति ढोंढ़ा के जैविक कृषि विशेषज्ञ वा भारतीय किसान संघ डिण्डौरी के जिलाध्यक्ष बिहारी लाल साहू दे रहे है। जिसमे जैविक विधि से धान का उपचार कर धान की नर्सरी व बीजोपचार करने की पूरी प्रायोगिक जानकारी दे रहे हैं।
*बीज को उपचार करने का तरीका*
बीजामृत बीज शोधन या बीजोपचार के लिए एक जैविक घोल है।
*निर्माण सामग्री*
5 किलोग्राम गाय की गोबर
10 लीटर गौमूत्र
50 ग्राम खाने का चूना
20 लीटर साफ पानी
50 ग्राम पेड़/जंगल की मिट्टी
*बीजोपचार हेतु नुस्खे*
बीजामृत का प्रयोग बीज शोधन के लिए किया जाता है । बीज शोधन का अर्थ है बीजों को बीजजनित या मृदाजनित रोगों से बचाव हेतु तैयार करना है। बहुत से रोगों बीजों के माध्यम से फैलते हैं जिससे फसल को बचाना बहुत महत्वपूर्ण है। रोगजनित बीमारियों का इलाज भी शोधन से ही संभव है। लेकिन आज भी अधिकांश किसान बिना उपचारित बीज से ही खेत की बुआई करते हैं । बीजोपचार बीजों के अंकुरण क्षमता में वृद्धि करता है ।बीज शोधन से बीज जल्द एवं अच्छी मात्रा में उग जाते हैं। जड़े तीव्र गति से बढ़ती है और फसलों पर बीमारियों का प्रकोप नहीं होती हैं।
*बनाने की विधि*
10 लीटर गौमूत्र को एक बर्तन में लेकर उसमें गोबर दूध मिलाते। गोबर,चूना तथा पेड़/जंगल की मिट्टी मिलाकर अच्छी तरह से मिश्रण को मिला देते हैं। इस मिश्रण को 24 घंटे तक छाया में रखते हैं। फिर 100 किलोग्राम बीज को फर्श या पाॅलीथीन शीट पर बिछाकर उस पर बीजामृत का छिड़काव कर देते हैं। छिड़काव के बाद बीज को हाथ से अच्छी तरह मिलाया जाता है। बीजामृत की परत सभी बीजों पर चढ़ जाए।
*उपयोग*
बोआई से 24 घंटे पहले बीज शोधन करना चाहिए। बीजामृत के उपयोग के बाद को छाया में सुखाएं। तत्पश्चात अगली सुबह बोआई करें। यह उपचार बीज जनित रोगों की रोकथाम में उपयोगी सिद्ध होती है। अच्छी तरह मिलाया जाता है। बीजामृत की परत सभी बीजों पर चढ़ जाए।